अलीगढ़। विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर मंगलायतन विश्वविद्यालय व भारतीय विज्ञान संचार सोसायटी द्वारा एक वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसका विषय सादगी पूर्ण संस्कृति से प्रकृति संरक्षण था। विदित रहे कि विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस 28 जुलाई को मनाया जाता है। इसके मनाने के पीछे लोगों को प्रकृति के प्रति प्रेरित करना है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. केवीएसएम कृष्णा ने कहा कि सादगी और अहिंसा की भावना का विकास करना चाहिए। यदि अहिंसा की भावना होगी तो व्यक्ति प्रकृति और जंगल में भी अतिक्रमण नहीं करेगा। अपने स्टैंडर्ड और एशोआराम के लिए लोग जीव जंतु को नुकसान पहुंचा रहे हैं और प्रकृति का दोहन कर रहे हैं। जबकि थोड़े कम साधनों में भी काम चल सकता है।
भारतीय विज्ञान लेखक संघ नई दिल्ली के अध्यक्ष डा. मनोज कुमार पटैरिया ने कहा कि प्रकृति संरक्षण के क्षेत्र में संचार व प्रचार प्रसार की आवश्यकता है। उन्होंने टीसू पेपर का प्रयोग बंद करने की बात कहते हुए कहा कि इससे बड़ी संख्या में पेड़ों का कटान रुकेगा। यूथ को पेपर मिल में जाकर देखना चाहिए कि हम प्रकृति को कितना नुकसान पहुंचा रहे हैं। प्रेसिडेंट यूथ हॉस्टल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के तारिक बदरी ने कहा कि विद्यार्थियों को प्रशिक्षण की आवश्यकता है। जिससे उनके अंदर बचपन से ही प्रकृति संरक्षण की भावना का विकास किया जा सके। वहीं वन और वन्यजीव संरक्षणवादी सुनील हरसाना ने कहा कि हद से ज्यादा शहरों का विस्तार हो रहा है। जिससे प्रकृति का संरक्षण खतरे में है, इसके गंभीर परिणाम भी हमारे सामने आ रहे हैं। कार्यक्रम में प्रतिभागियों द्वारा प्रश्न भी पूछे गए। संयोजक अकादमिक समन्वयक भारतीय विज्ञान संचार सोसायटी लखनऊ के डा. वीपी सिंह रहे। संचालन पूजा विरमानी ने किया। वेबिनार में पद्युम्न पाटिल, सामर्थ खन्ना, उदित नारायण, अनूप चतुर्वेदी आदि ने भाग लिया।
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