शिक्षा में उद्योगपरक पाठ्यक्रमों को शामिल करना है अनिवार्य

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मंगलायतन विश्वविद्यालय के फार्मेसी विभाग, स्कूल ऑफ फार्मेसी व मंगलायतन इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च ने एमआईईटी मेरठ और यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज के अकादमिक विशेषज्ञों के सहयोग से भारत में फार्मेसी शिक्षा के पितामह डा. एमएल श्रॉफ की जयंती को राष्ट्रीय फार्मेसी शिक्षा दिवस के रूप में मनाया। कार्यक्रम में फार्मा अन्वेषण के अंतर्गत उद्योगपरक फार्मा शिक्षा पर चर्चा की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित करके किया गया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में डीन एकेडमिक प्रो. अब्दुल वदूद सिद्दी एनईपी 2020 की अवधारणा से परिचित कराते हुए कहा कि डा. एमएल श्रॉफ को भारत में फार्मेसी का संस्थापक माना जाता है। उन्होंने यह गौरव अपनी उपलब्धियों के परिणामस्वरूप प्राप्त किया। डा. श्रॉफ ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में फार्मेसी पाठ्यक्रम की स्थापना की थी। प्रति कुलपति प्रो. सिद्दी विरेशम ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत फार्मा शिक्षा से संबंधित पाठ्यक्रमों में फार्मा उद्योगों की भागीदारी पर बल दिया। उन्होंने कहा कि फार्मा उद्योग को सुधारने और विकसित करने के लिए शिक्षा में उद्योगपरक पाठ्यक्रमों को शामिल करना अनिवार्य है। इससे फार्मा क्षेत्र में कौशल विकास को बढ़ावा मिलेगा। इस दौरान समूह चर्चा भी की गई। जिसमें डा. सुखवीर कौर, डा. आलोक शर्मा, डा. विकास, डा. पूजा चावला, डा. अनुराग, डा. धीरज चोपड़ा ने ऑनलाइन माध्यम से चर्चा की। पैनल चर्चा फार्मेसी पाठ्यक्रम में बदलाव की सिफारिशों, छात्रों के कौशल को बढ़ाने की संभावनाओं और सहयोगात्मक शोध कार्य और उसके प्रकाशन के रास्ते तलाशने पर केंद्रित थी। पैनल चर्चा का संचालन प्राचार्य डा. सुनील गुप्ता ने किया।
इस दौरान निबंध व प्रश्नोत्तर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें निबंध में आरती व प्राची, प्रश्नोत्तरी में रंजना व रितिक की टीम विजयी रही। समन्वयक प्रो. बृजेश शर्मा, प्रो. राहुल सिंह, प्रो. निशांत कटियार, प्रो. फवाद खुर्शीद, रामगोपाल सिंह, यादवेंद्र सिंह, सुजाता कुमारी, नेहा सिंह, सुशांत शर्मा, सुनील कुमार रहे।

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