अलीगढ़। देश में ऐसे कई पत्रकार हुए हैं जिन्होंने अपनी कलम से कुर्सियों को हिलाया है गणेशशंकर विद्यार्थी का नाम भी ऐसे ही पत्रकार के रुप में लिया जाता है। विद्यार्थी ने निष्पक्ष पत्रकारिता के माध्यम से अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया था। उन्होंने अपनी कर्मभूमि कानपुर से प्रताप अखबार निकाला था। इसमें वे स्वतंत्रता के लिए आंदोलन कर रहे क्रांतिकारियों की खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित करते थे। इसी कारण अंग्रेजों ने कई बार उन्हें जेल में डाल दिया। लेकिन उन्होंने सदैव निर्भीक व निडर होकर कार्य किया। बदलते दौर में युवा पत्रकारों को विद्यार्थी के जीवन आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए। यह बातें पत्रकारिता एवं जन संचार विभाग के अध्यक्ष डा. संतोष कुमार गौतम ने कहीं। वे शुक्रवार को मंगलायतन विश्वविद्यालय में पत्रकार एवं जनसंचार विभाग द्वारा गणेश शंकर विद्यार्थी के बलिदान दिवस पर आयोजित गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। प्रवक्ता मनीषा उपाध्याय ने कहा कि गणेश शंकर ने अपने नाम के साथ विद्यार्थी शब्द का प्रयोग इसलिए किया था कि वे मानते थे इंसान की उम्रभर सीखने की प्रक्रिया चलती है और वह जिंदगी भर विद्यार्थी रहता है। प्रयागराज में जन्में विद्यार्थी का पूरा जीवन संघर्षों में गुजरा था। 25 मार्च 1931 को समाज सेवा करते हुए कानपुर में हुए दंगों में वह बलिदान हो गए। गोष्ठी का संचालन प्रवक्ता मयंक जैन ने किया। छात्रा दिव्या शर्मा ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर दीपक चौधरी, दीपक कुमार, शेलेस्ठी पंडित, सताक्षी, ऋतिक, आशी, जूही आदि थे।
चित्र परिचय :–
01- मंगलायतन विवि में गणेश शंकर विद्यार्थी के बलिदान दिवस पर गोष्ठी को संबोधित करते डा. संतोष कुमार गौतम।
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