विकासशील अवस्था में है विज्ञान

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मंगलायतन विश्वविद्यालय में जैन दर्शन पर संगोष्ठी का आयोजन मुख्य सभागार में राष्ट्रीय सेवा योजना के सहयोग से किया गया। जिसका विषय ‘‘विश्व रचना: सूर्य, चंद्र व मनुष्य’’ था। मुख्य वक्ता मुंबई के सोमैया विश्वविद्यालय के जैन सेंटर के निदेशक डा. शुद्धात्म प्रकाश जैन रहे।
मुख्य वक्ता ने कहा कि आज विज्ञान जो खोज कर रही है उनका सांकेतिक उद्धरण हमारे प्राचीन ग्रंथों में उद्धरित हैं। आज भी विज्ञान विकासशील अवस्था में है। उन्होंने पुरुषाकार लोक से लेकर ब्रह्मांड, सूर्य, चंद्र के संबंध में प्राचीन ग्रंथों में मिले लेखों पर विस्तार से चर्चा की। अध्यक्षीय भाषण में कुलसचिव ब्रिगेडियर समरवीर सिंह ने कहा कि ब्रह्मांड में मौजूद तारामंडल से कहीं न कहीं हम सभी प्रभावित हैं। इनके अनछुए पहलुओं पर और शोध की आवश्यकता है। प्रो. जयंतीलाल जैन ने कहा कि ब्रह्मांड अनंत है। उसके आगे छोटे से मनुष्य का ज्ञान अल्प है। हम दुनिया को छोटी समझते हैं। ब्रह्मांड के संबंध में विचार व शोध करने की आवश्यकता है। क्योंकि आज के वैज्ञानिक युग में किसी के पास ब्रह्मांड से संबंधित पर्याप्त जानकारी नहीं है। प्रो. रविकांत ने मुख्य वक्ता को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। संचालक कार्यक्रम समन्वयक प्रो. सिद्धार्थ जैन ने किया। डा. अशोक उपाध्याय ने आभार प्रकट किया। इस अवसर पर रामगोपाल सिंह, श्वेता भारद्वाज, डा. फवाद खुर्शिद, डा. निशांत कटिहार, चंद्रकांत तिवारी, डा. ब्रजेश, मानसी, नैना आदि थे।

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