-मंगलायतन विश्वविद्यालय में विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
मंगलायतन विश्वविद्यालय में विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर तंबाकू के उपयोग और दुरुपयोग विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। आयोजन कृषि विभाग द्वारा आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आईक्यूएसी) के सहयोग से किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य तंबाकू के दुष्प्रभावों, उपयोग की सामाजिक स्थितियों और इसके सकारात्मक उपयोग के संभावित उपायों पर चर्चा करना था। शुभारंभ फीता काटकर व दीप प्रज्वलन कर किया गया।
मुख्य अतिथि सेंटर फॉर एविडेंस बेस्ड पॉलिसी प्रैक्टिस एंड इंटरवेंशन्स के डायरेक्टर डा. दाउद सलीम फारूकी ने कहा कि तंबाकू भारत जैसे देश में कई लोगों के लिए आज भी जीविका का साधन है, किंतु इसके नकारात्मक प्रभाव इसके आर्थिक लाभ से कहीं अधिक हैं। उन्होंने बताया कि भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों की वजह से होने वाली आर्थिक हानि, इस उद्योग से होने वाले राजस्व को भी पार कर चुकी है। उन्होंने तंबाकू की लत से छुटकारा पाने के उपायों पर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारत की जनसंख्या का लगभग पांचवां हिस्सा किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करता है। तंबाकू कैंसर व हृदय रोग जैसी घातक बीमारियों का भी प्रमुख कारण है। जिससे न केवल व्यक्ति बल्कि संपूर्ण समाज प्रभावित होता है। आयुर्वेद में तंबाकू प्राचीनकाल से औषधी के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा। तंबाकू के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को रेखांकित करते हुए कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने कहा कि तंबाकू का सबसे अधिक उत्पादन भले ही चीन में होता है, लेकिन उपयोग के मामले में भारत आगे है। तंबाकू एक प्रकार का विष है, जिसका विवेकपूर्ण प्रयोग कृषि क्षेत्र में कीट नियंत्रण के लिए किया जा सकता है। हमें इसके सामाजिक नुकसान को समझ कर एक सकारात्मक दिशा में सोचना चाहिए। तंबाकू का ऐसा प्रयोग कैसे हो जिससे स्वास्थ्य को नुकसान न पहुंचे, इस दिशा में शोध की आवश्यकता है। उन्होंने विद्यार्थियों और उपस्थितजनों को तंबाकू से दूर रहने की शपथ भी दिलाई।
स्वागत भाषण में कुलसचिव ब्रिगेडियर समरवीर सिंह ने बताया कि वैश्विक स्तर पर तंबाकू से प्रतिवर्ष लगभग 80 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है। यह न केवल एक व्यक्तिगत स्वास्थ्य का मुद्दा है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली पर भी एक बड़ा बोझ है। उन्होंने जागरूक होकर तंबाकू के दुष्परिणामों से बचने की प्रेरणा दी। सेमिनार की विषयवस्तु पर प्रकाश डालते हुए कृषि विभाग के अध्यक्ष प्रो. प्रमोद कुमार ने कहा कि तंबाकू में लगभग 70 प्रकार के हानिकारक रसायन पाए जाते हैं। यदि नियंत्रित तरीके से इसका प्रयोग किया जाए, तो यह कृषि में कीट नियंत्रण जैसे क्षेत्रों में उपयोगी है। डीन रिसर्च प्रो. रविकांत ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया और कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित किया। तकनीकी सत्र में वक्ताओं ने तंबाकू के उपयोग और दुरुपयोग पर विस्तृत चर्चा की। संचालन डा. आकांक्षा सिंह व सुजीत शर्मा ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर प्रो. आरके शर्मा, प्रो. फवाद खुर्शीद, प्रो. वेदरत्न, डा. संजय सिंह, डा. पवन कुमार, डा. रोशन लाल, डा. प्रत्यक्ष पांडे, डा. मयंक प्रताप सिंह, विपिन कुमार, कृष्णा कुमार, राहुल देव, रामानंद मिश्रा आदि के साथ किसान व विद्यार्थी उपस्थित रहे।