मन और अहंकार की दीवार को तोड़ने का मंत्र है हरे कृष्णा, हरे रामा

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-मंगलायतन विश्वविद्यालय में हुआ सेमिनार का आयोजन
मंगलायतन विश्वविद्यालय के मुख्य सभागार में दृश्य एवं कला विभाग, कदम समूह व राष्ट्रीय सेवा योजना के साथ ही हरेे कृष्णा भक्ति योेग सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का विषय ‘‘मन की एकाग्रता कैस बढ़ाए’’ था। इस दौरान विद्यार्थी हरे कृष्णा हरे रामा धुन पर मंत्रमुग्ध होकर झूमे।


कार्यक्रम के प्रारंभ में कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आज की पश्चिमी और भौतिकवादी सभ्यता की तुलना में भारतीय आध्यात्मिक मूल्य तनाव को दूर करने में सहायक हैं। आज के कार्यक्रम का आनंद आपके जीवन में निरंतर बना रहना चाहिए। हरे कृष्णा भक्ति योग सोसाइटी वृंदावन से पधारे मुख्य वक्ता रोहिणी नंदन दास ने विद्यार्थियों को श्रीमद् भगवत गीता के उदाहरण देते हुए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मन तथा इंद्रियों पर संयम रखने के गुर बताए। उन्होंने कहा कि हम संसार में क्यों आए, हमारा उद्देश्य क्या है, हम बूढ़े क्यों हो रहे हैं यह सवाल हमारे मन में आना चाहिए। हम आत्मा है और यह शरीर रथ के समान है, जो निरंतर भाग रहा है। इसमें लगे पांच घोड़े इंद्रियां है, जिसकी लगाम मन के हाथ में है। सबसे ऊपर परमात्मा है जो सबके हृदय में बैठा है। मन और अहंकार की दीवार को तोड़ने का सबसे बड़ा मंत्र हरे कृष्णा, हरे रामा है। कार्यक्रम के समापन के बाद प्रसाद वितरित किया गया। कार्यक्रम के आयोजन में डा. पूनम रानी, डा. सोनी सिंह व लव मित्तल का सराहनीय सहयोग रहा। इस अवसर पर प्रो. राजीव शर्मा, प्रो. आरके शर्मा, डा. रवि शेखर, भारत और ऑस्ट्रेलिया में फिजी के पूर्व राजदूत युगल किशोर दास, इंग्लैंड से आश्रम महाराज, दक्षिण अफ्रीका से अतुल कृष्ण दास, रुकमणी देवी, चीन से जय श्री, अनंत कृष्ण दास आदि थे।

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