-मंगलायतन विश्वविद्यालय में हुआ दसवें दीक्षांत समारोह का आयोजन
– 2218 विद्यार्थियों को प्रदान की गई उपाधि, 11 को स्वर्ण व 12 विद्यार्थियों को रजत पदक से सम्मान
– 863 स्नातक, 861 स्नातकोत्तर, 252 डिप्लोमा, 205 पीजी डिप्लोमा एवं 37 पीएचडी छात्रों को उपाधि
अलीगढ़। मंगलायतन विश्वविद्यालय का दसवां दीक्षांत समारोह गुरुवार को मुख्य सभागार में संपन्न हुआ। दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि भूतपूर्व सेनाध्यक्ष जनरल (डा.) विजय कुमार सिंह व विशिष्ठ अतिथि एएमयू की कुलपति प्रो. नइमा खातून रही। वहीं, मंविवि के कुलाधिपति, प्रख्यात पत्रकार, शिक्षाविद अच्युतानंद मिश्र, चेयरमैन हेमंत गोयल और गुरूजी ऋषि राज महाराज भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा ज्ञान की देवी मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित करके किया गया। गायत्री मंत्र व कुल गीत की संगीतमय प्रस्तुति दी गई। अतिथियों का स्वागत कुलसचिव ब्रिगेडियर समरवीर सिंह ने किया। कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की और उपाधि प्राप्त करने वालों को शपथ दिलाई। कार्यक्रम में भारतीय संस्कृति की झलक दिखाई दी।
मुख्य अतिथि जनरल (डा.) विजय कुमार सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आपकी यात्रा अभी शुरू हुई है और दुनिया आपके योगदान का इंतजार कर रही है। आज का यह क्षण कड़ी मेहनत, समर्पण और दृढ़ता का प्रतीक है। इस उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए आप सभी को बधाई। भारतीय सेना प्रमुख से संसद सदस्य बनने तक की अपनी यात्रा को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि हर मिशन के बाद हमने सबक और सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने के लिए गहन समीक्षा की। आप अपने करियर में आजीवन सीखने को अपनाएं। फीडबैक लें, विचार करें और सुधार करने का प्रयास करें। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि 2047 तक अपने कौशल, ज्ञान और रचनात्मकता से विकसित भारत के सपने को साकार करने में योगदान दें। आधुनिकरण में प्रौद्योगिकी ने हमारी क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रौद्योगिकी को अपनाएं और नवाचार करें। मंगलायतन विश्वविद्यालय की शोध के प्रति प्रतिबद्धता इसके 418 शोध पत्रों और 21 पेटेंट से स्पष्ट है। मंगलायतन सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों की सेवा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। छात्रवृत्ति व निःशुल्क शिक्षा प्रदान करने, विशेष रूप से बालिकाओं के लिए सराहनीय हैं। इस तरह की पहल उच्च शिक्षा के लिए सकल नामांकन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती है। विशिष्ठ अतिथि एएमयू की कुलपति प्रो. नइमा खातून ने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि उपाधि प्राप्त करना सफलता की पहली सीढ़ी है, आपको आगे बहुत सी सफलताएं प्राप्त करनी हैं।
उपलब्धियों का कोई समापन बिंदु नहीं
कुलाधिपति अच्युतानंद मिश्र ने स्नातकों को बधाई देते हुए कहा कि उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों ने यहां जो शिक्षा प्राप्त की है, उसने आपको न केवल व्यक्तिगत सफलता के लिए, बल्कि समाज में सार्थक योगदान देने के लिए भी तैयार किया है। इस वर्ष विश्वविद्यालय ने सफलता के विभिन्न मापदंडों में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है। यह नैक से प्रतिष्ठित ए प्लस मान्यता प्राप्त करने के बाद भी उत्कृष्टता की ओर हमारे सतत प्रयासों का प्रमाण है। जल्द अंतरराष्ट्रीय मान्यताएं भी विश्वविद्यालय के पास होंगी। उन्होंने छात्रों से कहा कि याद रखें कि सच्ची सफलता व्यक्तिगत उपलब्धि में नहीं है, बल्कि समाज पर जो सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं उस में है। विश्वविद्यालय ने जो नैतिक मूल्य आपके अंदर स्थापित किए हैं वह आपका मार्गदर्शन करेंगे। अपने क्षेत्र में उभरती चुनौतियों के सामने अनुकूलनशील और नवीन बने रहने के साथ बदलती दुनिया में सामाजिक, तकनीकी, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तनों से भी अवगत रहें। उपलब्धियां का कोई समापन बिंदु नहीं है, बल्कि हर उपलब्धि अनंत संभावनाओं से भरे भविष्य की ओर एक और कदम है।
आजीवन सीखने को अपनाएं
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया और उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई दी। वहीं संकाय और कर्मचारियों की अटूट प्रतिबद्धता से सफल रहे पिछले वर्ष के लिए आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि जब आप यहां से बाहर निकलें तो विश्वविद्यालय की भावना को अपने साथ ले जाएंगे। नैतिकता, टीमवर्क, सामुदायिक सेवा और पर्यावरण चेतना के हमारे मूल्यों को बनाए रखें। हमारा आदर्श वाक्य कल का नेतृत्व करने के लिए आज सीखें आपका मार्गदर्शन करेगा। उन्होंने कहा कि याद रखें शिक्षा कक्षा से परे होती है। तेजी से बदलती दुनिया में प्रासंगिक बने रहने के लिए आजीवन सीखने को अपनाएं। जिज्ञासु बनें, अनुकूलनशील बनें और अपने हर काम में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करें। सफलता का मतलब सिर्फ पेशेवर उपलब्धियाँ ही नहीं बल्कि दूसरों पर आपका सकारात्मक प्रभाव भी है। आगे की राह में चुनौतियां हो सकती हैं, लेकिन अपने दृढ़ संकल्प से आप उन पर विजय पा सकते हैं।
दीक्षांत समारोह में 2218 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई। जिनमें 11 को स्वर्ण पदक, 12 को रजत पदक प्रदान किए गए। 37 पीएचडी के विद्यार्थियों को भी उपाधि प्रदान की गई। प्रति कुलपति प्रो. सिद्दी विरेशम, प्रो. अब्दुल वदूद सिद्दिकी, डा. किशनपाल, प्रो. राजीव शर्मा, प्रो. रविकांत ने उपाधि धारकों को प्रस्तुत किया। सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। दीक्षांत समारोह का आयोजन कुलसचिव बिग्रेडियर समरवीर सिंह के नेतृत्व में किया गया। संचालन डा. स्वाति अग्रवाल ने किया। इस अवसर पर एमएलसी ऋषि पाल सिंह, प्रो. अब्दुला बुखारी, सौरभ बजाज, अतुल कुमार गुप्ता, विकास चड्ढा, दिलीप जैन, प्रो. दिनेश कुमार शर्मा, मनोज गुप्ता, गोपाल राजपूत सहित सभी विभागों के डीन, विभागाध्यक्ष व छात्र-छात्राएं आदि उपस्थित रहे।
समारोह का हुआ लाइव प्रसारण
मंगलायतन विश्वविद्यालय के दसवें दीक्षांत समारोह का आयोजन एक ऐतिहासिक अवसर था। इस महत्वपूर्ण आयोजन की गरिमा और महत्व को दुनिया भर के लोगों तक पहुंचाने के लिए समारोह का लाइव प्रसारण विश्वविद्यालय के सोशल मीडिया पेज, फेसबुक और यूट्यूब पर किया गया। लाइव प्रसारण के माध्यम से दर्शकों ने घर बैठे व कार्यालयों में ही समारोह के हर एक पल का आनंद लिया। प्रसारण देखने वाले हर व्यक्ति को विश्वविद्यालय की शानदार संस्कृति और उत्कृष्ट शिक्षा का साक्षी बनने का अवसर भी मिला।
इन्हें मिले स्वर्ण पदक
अरीबा
विजेता सिंह
रणबहादुर सिंह
प्रगति वाष्र्णेय
तनु बंसल
जतिन खुराना
अनुकृति अग्निहोत्री
नीनू चैधरी
अंकिता भारद्वाज
शिवानी पाठक
नेहा गौतम
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इन्हें मिले रजत पदक
निधि सेंगर
काव्या जैन
अर्पणा
रविन्द्र कुमार शर्मा
दुर्गेश शर्मा
मयंक अग्रवाल
मोहम्मद रहीम खान
निधि सारस्वत
गरिमा पाराशर
सचिन गुप्ता
अदिति जैन
अरकान हैदर
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मेडल पाने वाले विद्यार्थियों के बोल…
आज मेरे जीवन का यह एक यादगार लम्हा है। गोल्ड मेडल मिलना बहुत सम्मान व हर्ष की बात है। मंविवि के प्राध्यापकों का मार्गदर्शन और सहयोग मिला। अनुकृति अग्निहोत्री
गोल्ड मेडल पाकर बहुत खुश हूं। शैक्षणिक दृष्टि से हमारा मंगलायतन विश्वविद्यालय बहुत अच्छा है। मन लगाकर मेहनत की जाए तो कोई भी मुकाम पाया जा सकता है। अरीबा
मुझे गोल्ड मेडल मिला है और में खुश हूं। अपने साथियों को संदेश देना चाहूंगा कि वह मेहनत करें तो उन्हें मेडल मिलेगा। रणबहादुर सिंह
विश्वविद्यालय से मेडल मिलना गौरव की बात है। यह एक यादगार पल है। इसका श्रेय मेरे प्राध्यापकों व माता-पिता को जाता है। शिवानी पाठक