शल्य चिकित्सा में एनेस्थीसिया का है विशेष महत्व

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मंगलायतन विश्वविद्यालय में सोमवार को इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग एंड पैरामेडिकल द्वारा विश्व एनेस्थीसिया दिवस पर सेमिनार का आयोजन किया गया। इस दौरान विद्यार्थियों को पीपीटी के माध्यम से एनेस्थीसिया से संबंधित जानकारी प्रदान की गई। वहीं केक काटकर इस दिवस को सेलीब्रेट किया गया।
मुख्य अतिथि डीन एकेडमिक प्रो. उल्लास गुरुदास ने कार्यक्रम के आयोजन पर प्रशन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि शल्य चिकित्सा में एनेस्थीसिया का विशेष महत्व है। विभागाध्यक्ष डा. राहुल तिवारी ने एनेस्थीसिया के प्रकारों के संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि एनेस्थीसिया से सर्जरी करना अब आसान हो गया है। मुख्य वक्ता गजेन्द्र सिंह ने पीपीटी के माध्यम से एनेस्थीसिया के इतिहास पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 16 अक्टूबर 1846 को अमेरिका के डेंटिस्ट विलियम टीजी मोर्टन ने एनेस्थीसिया का पहला प्रयोग किया था और यह प्रयोग सफल रहा। वर्ल्ड फेडरेशन सोसाइटी ऑफ एनेस्थिसियोलॉजिस्ट (डब्ल्यूएफएसए) की तरफ से हर साल दुनियाभर के देशों में विश्व एनेस्थीसिया दिवस मनाया जाता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को एनेस्थीसिया की जरूरतों के प्रति जागरुक करना है। कार्यक्रम का संचालन छात्रा पलक ने किया। इस अवसर पर जितेंद्र सारस्वत, आकाश दीप सिंह चौहान, रोबिन भान सिंह, नेत्रपाल सिंह आदि उपस्थित रहे।

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2 Thoughts to “शल्य चिकित्सा में एनेस्थीसिया का है विशेष महत्व”

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