सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ तनाव मुक्ति का माध्यम है भगवत गीता

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मंगलायतन विश्वविद्यालय के विजुअल एंड परफॉर्मिंग आर्ट्स विभाग एवं राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के संयुक्त तत्वावधान में ‘वर्क-लाइफ बैलेंस ऑन द बेसिस ऑफ भगवत गीता’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। वृंदावन इस्कॉन से आए अतिथियों ने व्याख्यान के माध्यम से विद्यार्थियों को गीता के ज्ञान से जीवन प्रबंधन के आध्यात्मिक सूत्र बताए।
कार्यक्रम की शुरुआत ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ की मधुर धुन पर सांस्कृतिक प्रस्तुति से हुई। प्रस्तुति ने सभी को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। तीर्थेश्वरी राधिका ने अपने संबोधन में युवाओं को मोबाइल और गूगल पर अत्यधिक निर्भरता से सावधान करते हुए कहा आज की युवा पीढ़ी सीमित सोच में बंध गई है। गीता का अध्ययन नकारात्मक सोच को सकारात्मक दृष्टिकोण में बदलने का साधन है। तनाव से मुक्ति और मानसिक शांति के लिए गीता आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। सुवन्या कृष्ण लीला डीडी ने कहा अनपढ़ वह नहीं जो पढ़ नहीं सकता, बल्कि वह है जो सीखना नहीं चाहता। सीखने की आदत ही जीवन में आगे बढ़ने की कुंजी है। सकारात्मक मनस्थिति से हर चुनौती का समाधान संभव है। जो व्यक्ति स्वयं के मन पर विजय पा ले वही सच्चा विजेता होता है। नित्यायी दया प्रभु ने भारत की आध्यात्मिक विरासत पर प्रकाश डालते हुए कहा भारत भूमि पर जन्म लेना पूर्व जन्मों के पुण्य का फल है। यहां हर मन में मंदिर बसता है। आज भौतिक युद्धों से भी बड़ी चुनौती चेतना के स्तर पर चल रही आंतरिक लड़ाई है। भगवद् गीता इस युद्ध में विजय पाने का मार्ग दिखाती है। कुलपति प्रो. पीके दशोरा व डीन एकेडमिक प्रो. राजीव शर्मा ने अतिथियों को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। सभी उपस्थितजनों को इस्कॉन की ओर से भगवती गीता की प्रतियां भेंट की गईं। एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी रामगोपाल सिंह का विशेष सहयोग रहा। इस अवसर पर प्रो. आरके शर्मा, प्रो. अनुराग शाक्य, प्रो. सिद्धार्थ जैन, डा. पूनम रानी आदि थे।

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