नशे की अंधेरी दुनिया में गुम होता नौजवान-अमन सिंह

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नशे की अंधेरी दुनिया में गुम होता नौजवान

नशा आजकल एक महाजनसंख्या की समस्या बन चुका है जिससे हर तरह के लोग प्रभावित हो रहे हैं, विशेषकर युवा वर्ग। यह समस्या समाज की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक बन चुकी है क्योंकि यह सिर्फ नशे के संभावित हानिकारक प्रभावों को ही नहीं लेकर आता है, बल्कि इससे अन्य सामाजिक, आर्थिक, और परिवारिक समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं।

नशा आमतौर पर या तो मनोरंजन के लिए या तनाव और दुख को कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन, इसके लाभ केवल समय के लिए होते हैं, और इसके बाद के परिणाम अत्यंत हानिकारक हो सकते हैं। नशे में धुत होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि परिवारिक प्रेसर, योजनाबद्धता की कमी, सामाजिक दूरी, आदि।

युवा वर्ग नशे के प्रभाव में ज्यादा प्रभावित होता है क्योंकि वे अपने जीवन की पहली स्टेज में होते हैं और उन्हें अपने आप को ढूंढने और पहचान बनाने की प्रतीक्षा रहती है। इसलिए, वे अक्सर नशे को एक माध्यम के रूप में चुनते हैं जिससे उन्हें एक अस्थिर अनुभव मिलता है, लेकिन जो बाद में उनके जीवन को बड़े प्रभावित कर सकता है।

नशे के प्रभावों का असर सबसे पहले शिक्षा और करियर पर होता है। नशे के चक्कर में युवा वर्ग अपने शैक्षिक और पेशेवर लक्ष्यों से दूर हटते हैं और अक्सर शिक्षा और करियर के महत्वपूर्ण मोमेंट को गंवा देते हैं। इसके अतिरिक्त, नशे के सेवन से उनका संबंध परिवार और सामाजिक समुदाय से भी दूर हो जाता है, जिससे उनका संबंध टूट सकता है और अकेलापन का अहसास हो सकता है।

नशे की अंधेरी दुनिया में गुम होने वाले युवा वर्ग को सही मार्ग पर लाने के लिए समाज, परिवार, और सरकारी संस्थाएं सहयोग करने की आवश्यकता है। नशे के खिलाफ जागरूकता और शिक्षा को बढ़ावा देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। साथ ही, सामाजिक संगठनों और सरकारी नीतियों के माध्यम से नशे के प्रभावों को कम किया जा सके |

 

अमन सिंह

 छात्र – फार्मेसी विभाग

 मंगलायतन विश्वविध्यालय , अलीगढ

 

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