प्रयास ईमानदारी से किए जाए तो मिलेंगे सकारात्मक परिणाम

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मंगलायतन विश्वविद्यालय के मंगलायतन आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर द्वारा ट्रांजिशनल करिकुलम कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें सत्र 2024-25 के बीएएमएस पाठ्यक्रम के नवागत विद्यार्थियों का शिष्योपनयन् संस्कार हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ कुलसचिव ब्रिगेडियर समरवीर सिंह आदि ने भगवान धन्वंतरि के समक्ष दीप प्रज्वलित करके किया। डा. पीसी शुक्ला ने भगवान धन्वंतरि का पूजन विधि विधान से संपन्न कराया। कार्यक्रम का आयोजन प्रिंसिपल प्रो. राजेश धाकड़ के नेतृत्व में आयोजित किया जा रहा है। कई दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में विभिन्न कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। जिसमें नव प्रवेशी विद्यार्थी विश्वविद्यालय की गतिविधियों के साथ आयुर्वेद को जानेंगे।


कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलसचिव ने नवागत विद्यार्थियों को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी आपसी समन्वय स्थापित कर शिक्षकों के उचित मार्गदर्शन में अपने प्रयासों को सफलता की ओर लेकर जाए। ज्ञान हर जगह है सिर्फ उसे प्राप्त करने की क्षमता विकसित करने की आवश्यकता है। यदि प्रयास ईमानदारी से किए जाए तो उसके सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। कार्यक्रम में स्वागत भाषण देते हुए प्रो. मनोज कुमार शर्मा ने आयुर्वेद पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद संसार की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। विद्यार्थियों को चहुमुखी विकास के लिए मन लगाकर अध्ययन करना चाहिए। डा. ऋषिकांत वशिष्ठ ने बताया कि शिष्योपनयन संस्कार पुरातन काल से ही हमारी शिक्षा पद्धति का महत्वपूर्ण अंग रहा है। इस दौरान विद्यार्थियों ने एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी। जिसमें नृत्य, गीत व संगीत की त्रिवेणी प्रवाहित हुई। समन्वयक डा. अनूप मिश्रा, डा. पंकज शर्मा, डा. प्रवेंद्र पाल सिंह रहे। संचालन प्रथम पंडित व साक्षी कुशवाह ने किया। इस अवसर पर डा. शिवांस शर्मा, डा. मोरंग, डा. रेखा रानी, डा. दीपक, डा. दीपू, डा. प्रतिभा, डा. सरिता, डा. मनोज कुमार, डा. रोबिन वर्मा, राघवेंद्र सारस्वत आदि थे।

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